आईपीओ शेयर बाजार में निवेश करने का सबसे सरल और सुरक्षित तरीका है जहां आप कम समय में अपने इन्वेस्टमेंट से अधिक मुनाफा कमा सकते है। तो अगर आप भी कुछ इसी तरह के मौके को तालाश रहे है तो शुरुआत करे IPO meaning in Hindi से।
आईपीओ के मतलब को समझे तो यह वह तरीका है जिससे प्राइवेट कंपनी आगे बढ़ने और विकास के उद्देश्य से अपने शेयर्स शेयर मार्केट में लिस्ट करवाती है जिससे रिटेल इन्वेस्टर्स उनमे इन्वेस्ट कर फायदा कमा सकें और साथ ही कंपनी भी इन्वेस्टर के पैसों से विकास की ओर बढ़ सके।
आइये इसके मतलब और उद्देश्य को और गहराई से समझे।
आईपीओ जानने से पहले जानते है कि आईपीओ का फुल फॉर्म (IPO full form in hindi) क्या है या आईपीओ क्या होता है (ipo kya hota hai)? आईपीओ का मतलब Initial Public Offerings है और अपने आप में ही ये इस टर्म के बारे में काफी कुछ दर्शाता है।
तो चलिए अच्छे से समझने के लिए एक उदाहरण लेते है:
मान लेते है कि आपका दिल्ली में एक रेस्टोरेंट है और अब आप ज़्यादा मुनाफे के लिए चंडीगढ़ में उसकी एक ब्रांच खोलना चाहते है, अब आपके पास नई ब्रांच के लिए पूरा प्लान है लेकिन रेस्टोरेंट खोलने और उसे अच्छे से चलाने के लिए आपके पैसे फण्ड की कमी है।
तो अभी आप क्या करेंगे?
ज़्यादातर बिज़नेस मेन ऐसे में बैंक से लोन लेना उचित समझते है लेकिन आपको नहीं लगता कि बैंक के लोन और उसके इंटरेस्ट से आपके मुनाफा कमाने की उपलब्धिया कम हो जाएँगी?
अब ऐसा क्या ऑप्शन आपके लिए उपयुक्त होगा जिससे आप फण्ड की ज़रुरत को भी पूरा कर पाए और आपको किसी तरह का इंटरेस्ट भी न देना पड़े?
इसके लिए आता है आईपीओ, जिससे आप अपनी कंपनी या रेस्टोरेंट के कुछ हिस्से का प्रस्ताव शेयर बाजार के निवेशकों के आगे रख सकते है जिससे वह उन शेयर में निवेश कर लाभ कमा सकते है और साथ ही आपकी कंपनी के विकास में सहयोग कर सकते है।
तो एक कंपनी अलग-अलग उद्देश्य के साथ मार्केट में आईपीओ लेकर आती है, जैसे की:
सरल भाषा में बात करे तो आईपीओ से कोई भी कंपनी अपने शेयर्स को स्टॉक एक्सचेंज (NSE और BSE) में लिस्ट करवाती है जिससे निवेशक उन शेयर्स में निवेश कर सके और उस कंपनी में कुछ प्रतिशत का मालिकाना हक़ रख सके।
एक प्राइवेट कंपनी को स्टॉक मार्केट में लिस्ट करवाने की पूरी प्रतिक्रिया को आईपीओ कहा जाता है।
आईपीओ के लिए एक कंपनी को काफी पेहलूओं से गुज़रना होता है जैसे की:
DRHP (Draft Red Herring Prospectus) तैयार करना जिसमे वह अपनी कंपनी की पूरी जानकारी जैसे की बिज़नेस की जानकारी, कंपनी का मुनाफा या नुक्सान का संक्षेप में समझाना, आदि।
SEBI उन सभी जानकारी के आधार पर ही कंपनी के आईपीओ आवेदन को मंजूरी देता है जिससे आगे कंपनी स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट होने के लिए आईपीओ लेकर आती है।
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आईपीओ के मतलब को समझने के बाद ये तात्पर्य निकलता है कि कोई भी कंपनी अपने फण्ड और विकास के लिए स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट होती है और इसके लिए कंपनी को अलग-अलग ऑप्शन दिए जाते है।
तो बात करते है अलग-अलग ऑप्शन या कहे आईपीओ के प्रकार की।
आईपीओ दो तरह के होते है:
जानना चाहते है की इन दोनों से क्या तत्प्रय है और दोनों में क्या अंतर है तो आइये इन्हे विस्तार से समझे:
आईपीओ में आवेदन के लिए रिटेल इन्वेस्टर को एक प्राइस-बेंड दिया जाता है जिसमे वह उस प्राइस-बेंड में दिए हुए प्राइस के अनुसार बोली या बिड प्राइस भर सकते है, लेकिन बात आती है की प्राइस-बेंड का निर्णय किस प्रकार लिया जाता है?
इसके लिए पूरी एक प्रतिक्रिया होती है जिसमे कंपनी एक हामीदार (underwriter) नियुक्त करती है जो उस कंपनी के 20% शेयर्स में बोली लगाने के लिए अलग-अलग संस्थागत निवेशकों (institutional investors) को आमंत्रित करती है।
हामीदार उन सभी प्राइस का विश्लेषण कर एक प्राइस बेंड सेट करती है जिसमे आईपीओ के आवेदन के दौरान रिटेल इन्वेस्टर्स और अन्य इन्वेस्टर्स बिड करते है।
अब जैसे की नाम से पता लग रहा है इसमें प्राइस-बेंड या रेंज नहीं होती है बल्कि Fixed Price आईपीओ में कंपनी एक तय मूल्य पर शेयर्स प्रदान करती है।
यानी की इस तरह के आईपीओ में शेयर्स का प्राइस और किस प्राइस में शेयर्स आवंटित किए जायेंगे वह पहले से मालूम होता है।
इसमें आईपीओ की डिमांड का पता आईपीओ के बंद होने के बाद ही चलता है, तो अगर किसी शेयर का प्राइस ₹100 है तो वह इसी प्राइस में ट्रेड किया जाएगा चाहे मार्केट में उसकी डिमांड कम हो या ज़्यादा।
अब आईपीओ से जुड़ी और भी जानकारी प्राप्त करते है और जानते है किस तरह से आप आईपीओ में निवेश कर सकते है।
जब भी कोई कंपनी आईपीओ लेकर आती है तो अलग-अलग के तरह के दिनों का जिक्र होता है। एक नए निवेशक के लिए ज़रूरी है की वह हर तारिख और दिनों के बारे में जानकारी प्राप्त करे ताकि उसे किसी भी तरह की उलझनों का सामना न करना पड़े।
तो आइये आईपीओ से जुड़े कुछ ख़ास दिनों के बारे में:
अलग-अलग दिनों के साथ आईपीओ के प्राइस की जानकारी प्राप्त करना भी अतिआवयश्क हो जाता है, तो आइये जानते है की आईपीओ में अलग-अलग प्राइस का क्या मतलब है:
अब बात करते है आईपीओ से जुड़े एक महत्वपूर्ण टर्म, Grey Market Premium या आईपीओ प्रीमियम।
क्या आप जानना चाहते है की क्या होता है ये प्रीमियम?
आईपीओ में ग्रे माक्रेट प्रीमियम वह प्राइस है जिसमे आईपीओ के शेयर्स लिस्टिंग से पहले ग्रे मार्किट में ट्रेड किए जाते है।
सरल भाषा में बात करे तो ये वह प्राइस है जो निवेशक आईपीओ के प्राइस के अतिरिक्त देने के लिए तैयार है।
समझने के लिए एक उदाहरण लेते है:
मान लेते है कि आईपीओ का प्राइस बेंड ₹200 है और इसका जीएमपी ₹150 है तो यहाँ पर इसका तात्पर्य है कि निवेशक इस आईपीओ के शेयर्स के लिए ₹350 देने के लिए तैयार है।
इस वैल्यू से आप क्या समझ पाए है? क्यों ज़रूरी होता है जीएमपी की जानकारी प्राप्त करना? इससे निवेशकों को क्या जानकारी प्राप्त होती है?
क्या आप भी यही सब सोच रहे है?
ग्रे मार्किट प्रीमियम से किसी भी आईपीओ की डिमांड के बारे में पता चलता है। प्रीमियम की ज़्यादा वैल्यू दर्शाता है की निवेशक तय किए गए मूल्य से ज़्यादा मूल्य में आईपीओ खरीदने के लिए तैयार है।
तो अगर आप आईपीओ खरीदना चाहते है तो उसके लिए ज़रूरी है कि उसके प्रीमियम पर अपनी नज़र बनाए रखे।
क्या आपने कभी ऐसा सुना है की आईपीओ oversubcribed हुआ है?
क्या आप जानते है कि कोई भी आईपीओ अगर ओवरसब्सक्राइब्ड होता है तो उसका तात्पर्य क्या है?
जब भी कोई कंपनी आईपीओ लेकर आती है तो वह अलग-अलग इन्वेस्टर्स के लिए अलग-अलग प्रतिशत शेयर्स प्रदान करती है। अब अगर उसके तय किये हुए प्रतिशत से ज़्यादा निवेशकों ने आईपीओ के लिए निवेदन किया है तो इससे वह आईपीओ ओवरसब्सक्राइब्ड हो जाता है।
इससे आप यह जानकारी प्राप्त कर सकते है कितने निवेशकों ने इस आईपीओ को खरीदने के लिए आवेदन किया है, यानी की प्राइमरी मार्किट में इस आईपीओ की कितनी डिमांड है।
आईपीओ allotment, यानी की आपने जिस आईपीओ के लिए आवेदन किया वह आपको मिला की नहीं।
यहाँ एक सवाल आपके मन में आया होगा की किसी भी आईपीओ का आवंटन (allotment) किस तरह किया जाता है?
अब ये निर्भर करता है प्राइमरी मार्केट में आईपीओ के प्रदर्शन पर। अगर आईपीओ कम अंको के साथ सब्सक्राइब हुआ है तो हर एक निवेशक को आईपीओ के शेयर्स प्रदान (allotment) किया जाता है अन्यथा कुछ ही निवेशक आईपीओ में आवेदन करने का लुत्फ़ उठा पाते है।
स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट होने के बाद आईपीओ शेयर्स सेकेंडरी मार्किट में ट्रेडिंग और निवेश करने के लिए उपलब्ध हो जाते है।
यह वह समय होता है जब आवेदक लिस्टिंग से मुनाफा (listing gains) कमाने का अवसर प्राप्त करता है। यह एक सबसे बड़ा कारण है की क्यों आईपीओ को निवेश करने के लिए सुरक्षित और महत्वपूर्ण ऑप्शन माना जाता है।
तो ये तो हुए आईपीओ से जुडी कुछ ज़रूरी टर्म, अब बात करते है की एक निवेशक किस तरह से आईपीओ के लिए आवेदन कर सकता है?
तो अब जब आईपीओ से जुडी सभी जानकारी प्राप्त कर चुके है तो अब बात करते है की किस तरह से आप आईपीओ में आवेदन कर सकते है और उससे जुड़े फायदे का लुफ्त उठा सकते है।
यहाँ पर सबसे ज़रूरी और अहम बात कि आईपीओ में आवेदन के लिए आपके पास डीमैट अकाउंट होना ज़रूरी है।
डीमैट अकाउंट खोलने के बाद आप आसानी से ASBA के ज़रिये आईपीओ में आवेदन कर सकते है।
लेकिन क्या आप सोच रहे है की ये ASBA क्या है?
ASBA (Application Supported by Blocked Amount) के जरिये आप अपने ट्रेडिंग एप्प से किसी भी आईपीओ के लिए आवेदन कर सकते है और आप जितने का आवेदन करेंगे उतना अमाउंट आपके बैंक अकाउंट में कुछ समय के लिए ब्लॉक हो जाएगा।
अगर आपको आईपीओ मिल जाता है तो अमाउंट निकल जाएगा नहीं तो आपके इस्तेमाल के लिए वापिस से उपलब्ध हो जाएगा, इस तरह से आईपीओ में आवेदन करना सुरक्षित होता है।
तो चलिए अब जानते है की किस तरह से आप आईपीओ के लिए आवेदन कर सकते है:
ये था IPO meaning in Hindi जिसमे किस तरह से कंपनी अपने विकास के लिए स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट होने के लिए और अपने शेयर्स निवेशकों के लिए उपलब्ध करवाने के लिए आगे आती है।
आईपीओ का फयदा सिर्फ एक कंपनी को नहीं बल्कि जो निवेशक उसमे निवेश करने के लिए आवेदन करते है उनको भी होता है।
यह पूरी तरह से सुरक्षित होता है बस ध्यान रखे कि आप कंपनी की पूरी जानकारी और उसके उद्देश्य से अवगत हो और उसके अनुसार ही उसमे आवेदन करने का निर्णय ले।
आईपीओ में निवेश करने के अवसर को प्राप्त करने के लिए अभी अपना डीमैट अकाउंट खोले।