शेयर मार्केट इंडेक्स देश की आर्थिक हालत को मापने का पैरामीटर होता है। कोई व्यक्ति अगर अच्छा महसूस नहीं कर रहा है तो यह पता लगाने के लिए वो डॉक्टर के पास जाता है। डॉक्टर देखते ही उसे कुछ टेस्ट कराने की सलाह देता है जैसे ब्लड टेस्ट, बीपी आदि। टेस्ट का रिजल्ट ही बताता है कि उस व्यक्ति की स्वास्थ्य कैसी है।
उस व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए ये टेस्ट सूचना देने या सूचक का काम करता है ठीक उसी प्रकार यदि किसी देश की आर्थिक हालत पता करनी हो तो कुछ सूचक जैसे देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की दर की मदद ली जाती हैं। इसके अलावा देश के स्टॉक एक्सचेंज की इंडेक्स भी देश की आर्थिक हालत बयां करती है।
इस प्रकार यदि अपने देश की आर्थिक हालत जाननी हो तो देश की दो प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के इंडेक्स की बात की जाती है। सवाल ये उठता है शेयर मार्केट इंडेक्स क्या है और इसे कैसे समझ सकते हैं।
शेयर मार्केट इंडेक्स देश के प्रमुख स्टॉक मार्केट में कंपनियों के परफॉर्मेंस को मापने का जरिया है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का इंडेक्स सेंसेक्स और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का इंडेक्स निफ्टी होता है।
सेंसेक्स और निफ्टी ये बताता है कि मार्केट ऊपर जा रहा है नीचे जिसके आधार पर मार्केट की स्थिति पता चलती है।
स्टॉक मार्केट इंडेक्स पूरे मार्केट की स्थिति को नहीं बताता है बल्कि अलग-अलग सेक्टर के लिए अलग-अलग इंडेक्स होते हैं।
इसी प्रकार मिड कैप में 5,000 करोड़ से 20,000 करोड़ के बीच की मार्केट वैल्यू को कंसिडर किया जाता है जबकि लार्ज कैप में उन कंपनियों को शामिल किया जाता है जिसकी मार्केट कैप वैल्यू 20,000 करोड़ से अधिक होती है।
4. सेक्टर आधारित इंडेक्स- इस तरह के इंडेक्स पूरे एक सेक्टर को दर्शाते हैं। जैसे स्वास्थ्य के लिए निफ्टी फार्मा, ऑटो सेक्टर के लिए निफ्टी ऑटो, बैंकिंग सेक्टर के लिए निफ्टी पीएसयू बैंक और एफएमसीजी सेक्टर के निफ्टी एफएमसीजी इंडेक्स
इंडेक्स शीर्ष कंपनियों के स्टॉक को चुनता है जो मार्केट के ट्रेंड को बताता है। लेकिन सवाल ये उठता है कि इंडेक्स किस आधार पर कंपनियों का चयन करता है। इंडेक्स द्वारा किसी स्टॉक को चुनने के पीछे दो फैक्टर होते हैं।
1.मार्केट कैप- शेयर मार्केट (share market meaning in hindi) में लिस्टेड कंपनियों को मार्केट कैप के आधार पर चुना जाता है। पहले लार्ज कैप वाली कंपनी को शामिल किया जाता है। इसके लिए फ्री-फ्लो मार्केट कैप को आधार बनाया जाता है।
2. प्राइस- विश्व के कई स्टॉक मार्केट इंडेक्स स्टॉक चुनने के लिए मार्केट कैप की जगह हाई शेयर वैल्यू को तरजीह देते हैं। इसके लिए उदाहरण के तौर पर जापान निक्की 225 को ले सकते हैं जिसे हाई शेयर प्राइस वैल्यू के आधार पर चुना गया है।
भारत के शेयर मार्केट की बात करें तो यहां की दो प्रमुख इंडेक्स हैं सेंसेक्स और निफ्टी। आइए जानते हैं कि सेंसेक्स और निफ्टी क्या होता है जिसकी चर्चा दिन भर चलते रहती है। जानते हैं कि क्यों सेंसेक्स और निफ्टी का ऊपर-नीचे जाना निवेशकों के लिए परेशानी का कारण बन जाता है।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के इंडेक्स को सेंसेक्स के माध्यम से दर्शाया जाता है। सेंसेक्स में मार्केट कैप के आधार पर शीर्ष की 30 कंपनियों को शामिल किया जाता है। सेंसेक्स में इन कंपनियों की सूची आए दिन बदलते रहती है। सेंसेक्स का ऊपर या नीचे जाना इन 30 कंपनियों के समूह के स्टॉक की ट्रेंड को बताता है।
कुल कंपनियों की बात करें तो बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में लगभग 5,000 से ज्यादा कंपनियां लिस्टेड हैं। किसी के लिए यह संभव नहीं कि इन सभी कंपनियों के परफॉर्मेंस को निगरानी कर सके। इसलिए इन कंपनियों की स्थिति भी सेंसेक्स में लिस्टेड कंपनियों के परफॉर्मेंस पर ऊपर-नीचे होती है।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के इंडेक्स को निफ्टी के माध्यम से दर्शाया जाता है। इसमें मार्केट कैप के अनुसार शीर्ष 50 कंपनियों को शामिल किया जाता है जो 12 अलग-अलग क्षेत्रों से आती हैं। निफ्टी इन 50 कंपनियों के मार्केट कैप के औसत को बताती है।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में 2,000 से ज्यादा कंपनियां लिस्टेड हैं। निफ्टी इन 2,000 कंपनियों की स्थिति का प्रतिनिधित्व करती है। मतलब निफ्टी में इन 50 कंपनियों की स्थिति को इंडेक्स के माध्यम से सूचित करता है।
काफी नए निवेशक ये सोचते है की शेयर मार्केट में पैसा कैसे कमाए तो यहाँ पर आपको शेयर से पहले उसके इंडेक्स की जानकारी होना काफी महत्वपूर्ण हैजैसा कि पहले बताया गया है कि इंडेक्स का ऊपर या नीचे जाना मार्केट के ट्रेंड का सूचक होता है। लेकिन इंडेक्स निवेशकों के लिए कई मायनों में उपयोगी होता है।
सेंसेक्स बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड कंपनियों का इंडीकेटर होता है। सेंसेक्स का बेस ईयर 1978-79 जबकि इसका बेस वैल्यू 100 है।
सेंसेक्स के ऊपर जाने का मतलब है कि इसमें लिस्टेड 30 कंपनियों का शेयर वैल्यू ऊपर जा रहा है। इसके विपरीत सेंसेक्स का नीचे जाना इन 30 कंपनियों के शेयर वैल्यू का नीचे जाना दर्शाता है।
सेंसेक्स इंडेक्स वैल्यू = (30 कंपनियों के फ्री फ्लोट मार्केट कैप / बेस मार्केट कैप) * इंडेक्स का बेस वैल्यू
निफ्टी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड 50 कंपनियों का इंडीकेटर होता है। निफ्टी का बेस ईयर 1995 और इसका बेस वैल्यू 1,000 है।
निफ्टी इंडेक्स वैल्यू= (करंट मार्केट वैल्यू / बेस मार्केट कैपिटल) * निफ्टी बेस इंडेक्स वैल्यू(1000)
शेयर मार्केट का इंडेक्स किसी देश के आर्थिक हालत को जानने का पैरामीटर होता है। भारत की दो प्रमुख स्टॉक एक्सचेंड बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज है।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का इंडेक्स सेंसेक्स जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का इंडेक्स निफ्टी है। सेंसेक्स में मार्केट की शीर्ष 30 कंपनियां जबकि निफ्टी में मार्केट की शीर्ष 50 कंपनियों के स्टॉक शामिल होते हैं।