क्या आपने भी कभी इंट्राडे ट्रेडिंग करते हुए कुछ चुनौतियों का सामना किया है, जैसे की कब प्रवेश करे और किस प्राइस पर ट्रेड से बाहर निकले? अगर हाँ तो जाने किस तरह से स्टॉक का तकनीकी विश्लेषण (intraday technical analysis in hindi) आपको इस दुविधा से बचा सकता है।
लेकिन यहाँ आता है सबसे बड़ा सवाल, की तकनीकी विश्लेषण क्या होता है और किस तरह से इंट्राडे ट्रेडिंग में आपको ये मदद कर सकता है?
अगर आप भी सोच रहे की इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे करे?
तो शुरू करते है तकनीकी विश्लेषण (technical analysis) के साथ। टेक्निकल एनालिसिस मार्केट के ट्रेंड, प्राइस और वॉल्यूम और अन्य कारकों के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
अब एक ट्रेडर के लिए यह बहुत ही ज़रूरी जानकारी होती है क्योंकि उन्हें कम समय में (intraday trading time in hindi) काफी अहम फैसले लेने होते है जो ट्रेड में उनके मुनाफे को निश्चित करते है।
इंट्राडे ट्रेडिंग मार्किट में चल रहे उतार-चढ़ाव की जानकारी प्रदान करता है जिसकी मदद से एक ट्रेडर अपनी ट्रेडिंग के निर्णय को ले पाते है।
अब बात करते है की किस तरह से आप एक स्टॉक का टेक्निकल एनालिसिस कर सकते है।
तकनीकी विश्लेषण (Technical Analysis) करने के लिए आपको कई तरह के टूल्स और चार्ट दिए जाते है जिनको समझकर और जानकारी प्राप्त कर आप इंट्राडे ट्रेडिंग से जुड़े कुछ अहम फैसले कर सकते है।
अगर आप मार्केट में नए है तो तकनीकी विश्लेषण को करने के लिए आप चार्ट पैटर्न को इस्तेमाल कर सकते है।
इसके अलावा आपको अलग-अलग इंडीकेटर्स प्रदान किए जाते है जिनकी सही समझ और जानकारी आपको इंट्राडे ट्रेडिंग के निर्णय लेने में मदद करती है।
शुरुआत करते है चार्ट्स के साथ। अब ट्रेडिंग एप में आपको कई तरह के चार्ट्स प्रदान किए जाते है, लेकिन इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए किस तरह का चार्ट ज़्यादा बेहतर है?
चार्ट में किस टाइम फ्रेम में आप ज़्यादा अच्छे से किसी स्टॉक का विश्लेषण कर सकते है?
तो आईये एक-एक करके आपको आपके सभी सवालों का जवाब देते है।
अगर आपको 1 हफ्ते या उससे कम समय में स्टॉक के ट्रेंड के बारे में जानकारी प्राप्त करनी है तो आप लाइन चार्ट का उपयोग कर सकते है।
लेकिन अगर आप एक स्टॉक में कब निवेश करे और ट्रेंड की बारीकी को समझ कर ट्रेड करना चाहते है तो इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए कैंडलस्टिक चार्ट सबसे बेहतर रहते है।
इसका सबसे बड़ा कारण है कि कैंडलस्टिक चार्ट आपको किसी भी स्टॉक के ओपन, क्लोज, हाई और लौ प्राइस की जानकारी एक साथ प्रदान करता है।
इस तरह से आप एक स्टॉक के सभी पेहलूओं को समझ कर उसमे ट्रेड करने का निर्णय ले सकते है।
टाइम फ्रेम की बात करे तो, कैंडलस्टिक चार्ट में 5-मिनट और 10 मिनट का टाइम फ्रेम आपको स्टॉक और ट्रेंड की बेहतर जानकारी देता है।
जैसे की बताया गया, कैंडलस्टिक चार्ट स्टॉक के अलग-अलग पेहलूओं को दर्शाता है और पिछले कुछ समय में स्टॉक के प्रदर्शन की जानकारी भी देता है।
कैंडलस्टिक चार्ट को अगर देखे तो इसमें एक बॉडी और दो विक्स (wicks) होती है।
कैंडलस्टिक की बॉडी स्टॉक के ओपन और क्लोज प्राइस के अंतर को दर्शाता है और दूसरी तरफ विक्स किसी भी शेयर के हाई और लॉ वैल्यू की जानकारी देता है।
अब ये कैंडलस्टिक किस तरह से आपको इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए स्टॉक का चयन करने में मदद करती है?
ये चार्ट अलग-अलग तरह के पैटर्न बनती है जो आपको मार्केट में आने वाले ट्रेंड की जानकारी देता है जिसकी मदद से आप स्टॉक कब खरीदना और बेचना है उसकी जानकारी भी देता है।
जानना चाहते है की कौन से है वो पैटर्न जो आपको आपके स्टॉक चयन करने में मदद करते है?
कुछ पैटर्न जो आपको स्टॉक का विश्लेषण और उसके प्राइस की जानकारी देते है वह निम्नलिखित है:
एक हैमर (हथोड़े) की तरह ये पैटर्न मार्केट में आने वाले तेज़ी को दर्शाता है।
इस पैटर्न को आप आसानी से पहचान सकते है। इसमें कैंडलस्टिक की एक छोटी बॉडी और नीचे वाली विक काफी लम्बी होती है।
तो अगर कभी स्टॉक में लम्बे समय तक गिरावट देखने के बाद ऐसा पैटर्न देखने को मिले तो ये दर्शाता है की अब मार्केट में खरीदार ज़्यादा सक्रिय होने वाले है।
इसके तात्पर्य ये है की अब स्टॉक में तेज़ी आने की सम्भावना है। इसके साथ अगर कैंडल हरे (green) रंग की हो तो ये सिग्नल और भी मजबूत हो जाता है।
हैमर पैटर्न की विपरीत एक कैंडल होती है, हैंगिंग मेन (hanging man) जिसमे फिर से आपको एक छोटी बॉडी और निचे की तरफ एक लम्बी विक देखने को मिलती है।
क्या आप सोच रहे है की पहर इन दोनों में क्या फर्क है?
बस एक छोटा सा फ़र्क़ इन दोनों पैटर्न को अलग करता है। वह है ट्रेंड।
अगर इस तरह की कैंडल मार्केट में तेज़ी (uptrend) देखने को मिले तो ये आपको आने वाले प्राइस के गिरावट का अंदेशा देता है। इस तरह के विश्लेषण से आप मार्केट में शार्ट पोजीशन ले सकते है।
जैसे की नाम से पता चल रहा है, यह पैटर्न आने वाली तेज़ी की जानकारी प्रदान करता है। इस तरह के पैटर्न में दो तरह की कैंडल होती है जिसमे रेड (red) कैंडल छोटी है और उसको एक ग्रीन (green) कैंडल पूरी तरह से ढक देती है।
ये पैटर्न एक निर्णय लेने में मदद करता है? इससे एक ट्रेडर क्या जानकारी प्राप्त कर सकता है?
ये पैटर्न दर्शाता है की चाहे मार्केट कम प्राइस पर खुले लेकिन जल्द ही एक तेज़ी देखने को मिल सकती है, जिसके आधार पर ट्रेडर अपना ट्रेडिंग निर्णय ले सकता है।
अब जिस तरह से बुलिश एंगलफिंग पैटर्न में एक ग्रीन कैंडल रेड कैंडल को पूरी तरह से कवर कर लेती है उसी तरह से बिएरिश एंगलफिंग पैटर्न में ग्रीन कैंडल को रेड कैंडल कवर कर लेती है।
इससे ये पता चलता है की मार्केट में काफी समय से चल रही तेज़ी थमने वाली है और जल्द ही सेलर मार्केट में हावी होने वाले है जो मार्किट को मंदी की ओर ले जा सकते है।
तो अगर आपको कभी भी ऊपर की तरफ एक ग्रीन कैंडल दिखे जिसे रेड कैंडल ने पूरी तरह से छिपा लिया हो तो वह पर आप शार्ट-सेलिंग कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हो।
इस पैटर्न में तीन ग्रीन कैंडल देखने को मिलती है, जिनकी छोटी विक्स होती है और हर नई कैंडल का ओपनिंग और क्लोजिंग प्राइस पिछली कैंडल से ज़्यादा होता है।
क्योकिं कैंडल हर बार ज़्यादा प्राइस में बंद होती है तो यह पैटर्न बुलिश मार्केट के बारे में जानकारी देता है।
तो अब चार्ट को देखते ही कुछ इस तरह के पैटर्न को पहचाने और उसके अनुसार स्टॉक मार्किट में ट्रेड करने का निर्णय ले।
ये तो बात हुई पैटर्न की, अब बात करते है तकनीकी विश्लेषण करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण इंडीकेटर्स की।
इंट्राडे ट्रेडिंग से जुड़े निर्णय लेने के लिए टेक्निकल इंडीकेटर्स का काफी योगदान रहता है। हालांकि इनके सही इस्तेमाल के लिए ज़रूरी है की आप इनको अच्छे से समझे और जानकारी प्राप्त कर ही ट्रेड करने का निर्णय ले।
अपर दिए गए पैटर्न के साथ अगर आप टेक्निकल इंडीकेटर्स का इस्तेमाल करते है तो ये आपके ट्रेडिंग में सफल होने के अवसर को बढ़ा देता है।
अब शेयर मार्केट में ट्रेड करने के लिए कई अलग तरह के इंडीकेटर्स होते है, लेकिन किस इंडिकेटर का इस्तेमाल इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए उपयोगी है?
आइये जानते है कुछ ऐसे इंडीकेटर्स जो आपको इंट्राडे ट्रेडिंग के स्टॉक्स का विश्लेषण कर उनमे ट्रेड करने में मदद करता है।
रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (RSI Indicator) एक मोमेंटम इंडिकेटर है जो ट्रेडर को मार्केट की गति के बारे में जानकारी देता है।
इस इंडिकेटर में 0-100 तक की रेंज होती है जिसके आधार पर आप मार्केट में अधिक्रीत और अधिविक्रय की जानकारी देता है।
इसमें आप अपने अनुसार रेंज सेट करते है। ज़्यादातर ट्रेडर्स 70-30 की रेंज में ट्रेड करने का निर्णेय लेते है।
अब किस तरह से इस इंडिकेटर का इस्तेमाल करते है, आइये जानते है?
यह पर अगर इंडिकेटर की संख्या 70 से ऊपर जाती है तो ये स्टॉक में ज़्यादा खरीदार होने की जानकारी देता है और दूसरी तरफ 30 या उससे नीचे की संख्या अधिविक्रेता स्थिति को दर्शाता है।
इसके साथ आप कितनी अवधि का विश्लेषण कर रहे है वह बहुत ज़रूरी हो जाता है। इस इंडिकेटर में ज़्यादातर ट्रेडर 14 पीरियड का इस्तेमाल कर विश्लेषण करते है।
लेकिन मार्केट की बारीकियों को जानने के लिए आप कम अवधि जैसे 8 या 11 का इस्तेमाल कर सकते है।
इन सबके बाद अगर इंडिकेटर 70 से ऊपर है तो आप शॉर्टिंग कर सकते है और 30 या उससे नीचे आने पर लॉन्ग पोजीशन लेने पर मुनाफा कमा सकते है।
RSI के बाद MACD इंडिकेटर काफी लोकप्रिय है। ये एक ट्रेंड इंडिकेटर है जो मार्केट की स्थिति को दर्शाता है तो एक ट्रेडिंग निर्णय लेने में मदद करता है।
MACD इंडिकेटर अलग-अलग मूविंग एवरेज का उपयोग करता है जिसमे 9-अवधि की एक्सपोनेंशियल मूविंग एवरेज सिग्नल लाइन और अन्य दो, 26 और 12 अवधि की मूविंग एवरेज के अंतर MACD लाइन बनाती है।
अब इस इंडिकेटर से विश्लेषण करने के लिए आपको कुछ क्रॉसओवर देखने होते है।
यहाँ पर अगर MACD लाइन सिग्नल लाइन को नीचे से ऊपर की और काटती है तो ये मार्केट में आने वाली तेज़ी को दर्शाता है, दूसरी तरफ MACD लाइन जब सिग्नल लाइन को नीचे की और काटती है तो ये स्टॉक प्राइस माँ आने वाली मंदी का अंदेशा होता है।
इसमें भी स्टॉक प्राइस की बारीकियों को समझने के लिए आप अलग-अलग अवधि की मूविंग एवरेज सेट जैसे की 5.,35,5 और 3,10,16 कर सकते है।
ADX या एवरेज डायरेक्शनल मूवमेंट इंडेक्स ट्रेंड की मजबूती को दर्शाता है। इसमें भी 0-25 तक की रेंज होती है जिसका विश्लेषण कर आप मार्केट के ट्रेंड की जानकारी प्राप्त कर सकते है और वो ट्रेंड कितने समय तक मार्केट में रहेगा उसके बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते है।
अगर ADX 25 से ऊपर है तो ये एक मजबूत ट्रेंड को दर्शाता है। तो अगर मार्केट में तेज़ी चल रही है और ADX की संख्या 25 या उससे ज़्यादा है तो आप अनुमान लगा सकते है की मार्केट में अभी कुछ समय तक यही ट्रेंड बना रहेगा।
इस इंडिकेटर के सही इस्तेमाल के लिए आप 3-5 मिनट का टाइम फ्रेम सेट कर सकते है।
सभी टेक्निकल इंडीकेटर्स में ये सबसे आसान और सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होने वाला इंडिकेटर है। ये एक ट्रेंड इंडिकेटर है जो मार्केट के आखिरी कुछ समय या अवधि के क्लोजिंग प्राइस के आंकड़ों के आधार पर एक मार्केट में लॉन्ग या शार्ट पोजीशन लेने की जानकारी प्रदान करता है।
इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए आप 8 या 20 अवधि का मूविंग एवरेज के आंकड़ों का इस्तेमाल कर सकते है।
अब आपने 20-अवधि का मूविंग एवरेज का इस्तेमाल किया है तो यहाँ पर अगर स्टॉक का प्राइस मूविंग एवरेज की लाइन से ऊपर है तो ये एक बुलिश सिग्नल देता है।
दूसरी तरफ अगर स्टॉक का प्राइस मूविंग एवरेज लाइन से निचे है तो आप शॉर्टिंग कर सकते है क्योकि ये मार्केट में चल रही मंडी को दर्शाता है।
ऊपर बताए इंडीकेटर्स से विपरीत बोलिंगर बैंड्स एक वोलैटिलिटी इंडिकेटर है, जिसमे दो बैंड्स और बीच में एक मूविंग एवरेज लाइन होती है।
मार्केट जितनी वोलेटाइल होगी इस इंडिकेटर का घेरा उतना ही ज़्यादा होता है, साथ मूविंग एवरेज प्राइस ट्रेंड के बारे में जानकारी देता है जिसके आधार पर ट्रेडर इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए एक सही निर्णय ले पाते है।
टेक्निकल एनालिसिस में इंडिकेटर एक अहम भूमिका निभाते है, क्योकि ये आपको एक सही सिग्नल और जानकारी प्रदान करता है।
लेकिन क्या सिर्फ एक तरह के इंडिकेटर पर निर्भर होकर आप ट्रेडिंग करने का निर्णय ले सकते है?
बिल्कुल नहीं क्योंकि कई बार ये इंडीकेटर्सआपको गलत सिग्नल दे सकते है जो आपके नुक्सान का कारण बन सकते है।
इसलिए बेहतर होता है कि आप दो या तीन अलग-अलग तरह के इंडीकेटर्स का इस्तेमाल करें।
एक सही निर्णय के लिए आप एक मोमेंटम इंडिकेटर को ट्रेंड इंडिकेटर के साथ इस्तेमाल कर सकते है।
इस तरह से आप मार्केट की गति और ट्रेंड की जानकारी एक साथ जान सकते है और उसके आधार पर एक बेहतर निर्णय ले अपने मुनाफे के अवसर को बढ़ा सकते है।
टेक्निकल एनालिसिस इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए काफी महत्वपूर्ण है। तो आगे से जब भी आप ट्रेड करे ध्यान रखे की चार्ट पैटर्न और इंडीकेटर्स की समझ और जानकारी प्राप्त करके ही किसी निर्णय में पहुंचे।
एक सही विश्लेषण की शुरुआत एक सही स्टॉकब्रोकर के साथ होती है।
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